Lucknow-Gorakhpur Expressway के ऐलान के बाद उत्तर प्रदेश के कई गांवों में खुशी की लहर दौड़ गई है. जिन किसानों और गरीब परिवारों की जमीन इस प्रोजेक्ट में ली जा रही है, उन्हें सरकार करोड़ों में मुआवज़ा देने जा रही है. अचानक आए इस फैसले से कई लोगों की जिंदगी बदलने वाली है, और पूरे क्षेत्र में चर्चा गर्म है.

यूपी सरकार का बड़ा प्रोजेक्ट
लखनऊ और गोरखपुर के बीच बनने वाला यह एक्सप्रेसवे फोर लेन का हाई-स्पीड कॉरिडोर होगा, जिसे भविष्य में 6 लेन तक विस्तारित किया जाएगा. लगभग 260 किलोमीटर लंबा ये रूट पूर्वांचल की तरक्की के लिए गेम चेंजर माना जा रहा है. इससे न सिर्फ यात्रा का समय घटेगा बल्कि औद्योगिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा.
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गांवों को मिलेगा विकास का तोहफा
जिन गांवों से होकर एक्सप्रेसवे गुज़रेगा, वहां अब इंफ्रास्ट्रक्चर और सड़कों का कायाकल्प होना तय है. गांव वालों का कहना है कि पहले उनकी जमीन का कोई खरीदार नहीं था, लेकिन अब सरकार खुद ₹1 करोड़ प्रति बीघा तक की दरों पर ज़मीन खरीद रही है. लोग अपने पुराने कच्चे मकानों को पक्के घर में बदलने की प्लानिंग कर रहे हैं.
रोजगार और व्यापार के नए रास्ते
Lucknow-Gorakhpur Expressway न सिर्फ ट्रैफिक को आसान बनाएगा, बल्कि इससे ढाबे, पेट्रोल पंप, वेयरहाउस और होटल इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिलेगा. स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे और युवाओं को पलायन करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.
कब तक तैयार होगा एक्सप्रेसवे
इस एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. पहले फेज़ में ज़मीन अधिग्रहण लगभग पूरा हो चुका है और निर्माण एजेंसियां जल्द काम शुरू करने वाली हैं. ये प्रोजेक्ट न सिर्फ यूपी की तस्वीर बदलेगा बल्कि गांव वालों की किस्मत भी संवार देगा.