Ganga Expressway: उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी को नई रफ्तार देने वाला गंगा एक्सप्रेसवे अब तेज़ी से हकीकत बनता जा रहा है. करीब 594 किलोमीटर लंबा ये एक्सप्रेसवे मेरठ से शुरू होकर प्रयागराज तक जाएगा. यह न सिर्फ उत्तर भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा, बल्कि लाखों लोगों के जीवन और रोज़गार का जरिया भी बनेगा.

Ganga Expressway: किन जिलों को होगा सीधा फायदा
गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज जैसे ज़िलों से गुजरेगा. इन शहरों को राजधानी लखनऊ और NCR से जोड़ने का सीधा फायदा होगा. पहले जहाँ इन शहरों में पहुंचने में घंटों लगते थे, अब यह दूरी चंद घंटों में तय होगी.
इंडस्ट्रियल और बिज़नेस ग्रोथ को मिलेगा बूस्ट
इस हाई-स्पीड कॉरिडोर के आसपास इंडस्ट्रियल पार्क, वेयरहाउसिंग ज़ोन और लॉजिस्टिक हब भी विकसित किए जा रहे हैं. इससे इन ज़िलों में रोज़गार के नए अवसर खुलेंगे और MSME से लेकर बड़ी कंपनियों तक को फायदा होगा. एक्सप्रेसवे से गांवों के किसानों को भी अपनी फसल बड़ी मंडियों तक पहुंचाने का सस्ता और तेज़ रास्ता मिलेगा.
टूरिज्म और ट्रैफिक दोनों को राहत
प्रयागराज जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक शहर तक एक्सेस आसान होने से टूरिज्म को भी जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा. साथ ही मेरठ से प्रयागराज तक जाने वाले नेशनल हाईवे पर ट्रैफिक लोड कम होगा. यह परियोजना राज्य में लॉजिस्टिक्स टाइम को घटाने और पेट्रोल-डीजल खर्च को बचाने में भी मददगार साबित होगी.
2025 तक पूरा होगा काम
गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण तेज़ी से चल रहा है और सरकार का लक्ष्य इसे 2025 के अंत तक पूरा करने का है. इसे Adani Group के सहयोग से PPP मॉडल पर विकसित किया जा रहा है. एक बार जब यह पूरी तरह चालू हो जाएगा, तब यूपी को न सिर्फ देश के नक्शे पर बल्कि वैश्विक निवेश के मानचित्र पर भी नई पहचान मिलेगी.